*सतगुरु साँई तेरे संग है प्रीत लगाई*
सतगुरु साँई तेरे संग है प्रीत लगाई
********************************
सतगुरु साँई तेरे संग है प्रीत लगाई,
पापी मन जाण ना पाया तेरी वड्याई।
मोह माया ठगनी पल-पल मोही जावे,
तुरया जांदा राही मंजिल पहुँच न पावे,
भूले बिसरे दर आये सही राह दिखाई।
पापी मन जाण ना पाया तेरी वड्याई।
हीरे-मोती पट्या मैनू मत्त गई सी मारी,
कोई वी बच न पाया नर होये जा नारी,
सारा ही खो आया बंदा सेवक हरजाई।
पापी मन जाण ना पाया तेरी वड्याई।
मनसीरत मन मोया कदे मत्त ना आवे,
मैला मन भटके ऐसे राह सही ना पावे,
मन के मंदिर में है ज्ञान-ज्योति जगाई।
पापी मन जाण ना पाया तेरी वड्याई।
सतगुरु साँई तेरे संग है प्रीत लगाई,
पापी मन जाण ना पाया तेरी वड्याई।
********************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
पापी हाँ कर्म दा मारा नहीं रीत निभाई।