सड़क
कितनी ही आत्माएं सोई हैं शांत
अनजानी सी सड़कों पर,
गुजरते हैं रोज कई हादसे ऐसी
अनजानी सी सड़कों पर।
भूलते नहीं वो रास्ते किसी अपने
के छुटे हो प्राण जहाँ,
मन करता है बस एक टक निहारा
करें उसी राह पर।
कितना मुश्किल होता है रोज उस
राह से गुज़र कर जाना,
लगता है कोई रूह करती होगी
इंतजार किनारों पर।
कौन जाने वो कौनसा पल हो के
रह जाये कोई रास्ते में,
हां ये राहें ले जाती हैं कभी कभी
अंतिम सफर पर।
संभल कर गुजरना इन सर्पीली सी
चमकीली सड़कों से,
बन ना जाये कहीं न आशियाना
सदा के लिए सड़कों पर।
सीमा शर्मा