सजी सारी अवध नगरी , सभी के मन लुभाए हैं
सजी सारी अवध नगरी , सभी के मन लुभाए हैं
हमारी ही प्रतीक्षा के , सुखद परिणाम आए हैं ।।
जले दीपक सजी बाती , सजे आँगन सुमनलड़ियाँ ।
खड़ी बाला सु स्वागत में , नये आयाम भाए हैं ।।
बड़ी छोटी प्रजा सारी , खुशी में है गले मिलती
धनी निर्धन सबल दुर्बल , सभी के राम आए हैं ।
भरे दरबार भक्तों से , घरों में अब भजन गूँजें
हुए दुख दूर सब जन के, यही पैगाम लाए हैं ।।
पताका धर्म की लहरी , सुशासित राम राज्य में ।
बढ़ीं घड़ियाँ सुअवसर की , सनातन नाम पाए हैं ।।
डाॅ रीता सिंह
चन्दौसी, सम्भल