सजा मघइया मेला रे
आया माघ-मघइया
जुट गई भीड़ है रेलमरेला रे
संगम तट पर तन गए तम्बू
सजा मघइया मेला रे
साधू-संतन के फौजन मे
भांति-भांति के लोग जुटे
कौनों के है जटा बीस फुट
कौनों के है मूड़ घुटे
धर-धर आए रूप अनोखे
चढ़ गया भांग और गाँजा जी
मस्ती चढ़ी तो लगे नाचने
झूम-झूम के राजा जी
शैव,वैष्णव,शाक्त सभी
धर्म ध्वजा फहराय रहे
कल्पवास मे बाबा-दादी
बहूतै पुण्य कमाय रहे
कौनों खाये गुड़ही जलेबी
कौनों गुड़ के भेला रे
संगम तट पर तन गए तम्बू
सजा मघइया मेला रे
बुढ़वा-बुढ़िया लरिका बच्चा
सबके मन हरसाय रहा
तन प्रयाग मा मन प्रयाग मा
प्रयाग ही सबका भाय रहा
झाड़-फूस की झोपड़ियन मा
प्रभु का रोज गुहारै हो
अमृत वचन सुनै संतन के
खुद का भव से तारै हो
तड्केन उठ के गंगा मैया
के चरनन सिर नाय देहेन
कांपै हाड़ मगर बड़कौवा
बीसन डुबकी लगाय लेहेन
सूरज देउता के पारै सिरधा
दूनौ गुरु और चेला रे
संगम तट पर तन गए तम्बू
सजा मघइया मेला रे
भांति-भांति के होय प्रदर्शन
भीड़ भयंकर मंदिर मे
बँधवा के हनुमत का पूजै
हैं शिवशंकर मंदिर मे
बिटिया,बहिनी,बुआ-भतीजी
आई ताई-माई हो
श्रद्धा से सब करे आरती
जै-जै गंगा माई हो
डुबकी लगाय के लागै जैसे
सफल होइ गवा जीना हो
बढ़त निरंतर भीड़ देख के
छोड़े पुलिस पसीना हो
बस और रेल मे ठस्समठस्सा
चहुंदिशि ठेलमठेला रे
संगम तट पर तन गए तम्बू
सजा मघइया मेला रे
देउतन उतरेन सबै प्रयागा
दौड़त आएन बाबा नागा
माटी पावन भई प्रयाग के
बनी चाशनी प्रेम पाग के
चलौ सयाने चलौ सयानी
दुनिया तो है आनी-जानी
अबकी बार नहाबै हमहू
गंगा मैया अउबै हमहू
लै ला गोद दुलारा मैया
हमका भव से तारा मैया
सर पे दै दा हाथ अशीष के
कौनों बूटी दै दा पीस के
खतम होय सब दुनिया भर के
अब तो राम झमेला रे
संगम तट पर तन गए तम्बू
सजा मघइया मेला रे