सजल
1222 1222, 1222,1222
नमन कर आज हिंदी को, गूंथे संस्कार हैं सारे
सरल इजहार की भाषा, सजे हैं भाव भी न्यारे ।
यही पहचान है सबकी,जुबा दिन रात है कहती,
करो अभिमान हिंदी पर, गढ़े अहसास ये प्यारे।
रचे रसखान ने दोहे, लिखें हैं गीत मीरा ने,
इसी में ग्रन्थ अंकित है, इसी में वेद उच्चारे।
पुराणों को सजाया है, रचा साहित्य जाता है,
कलम की शान हिंदी है, बहे है काव्य के धारे।
समझ अनपढ़ इसे लेते, सहज है काम की भाषा,
हमारे देश का गौरव , करे हैं विश्व जयकारे।
चलन में देख अंग्रेजी, भरी अपमान से हिंदी ,
चिढ़ाते लोग ही अपने, कमी ये आज स्वीकारे ।
बढ़ाये मान हिंदी का, हमारी मात जैसी है,
सजाए भाल पर सीमा,नहीं हम आप धिक्कारे।
सीमा शर्मा