सजन बिन
कहे सजना
ये सोलह श्रृंगार
ना जाओ दूर।।
बिंदिया कहे
नयना नीर बहे
आ जाओ पिया।।
तेरी जोगन
ना सम्भले यौवन
राह निहारे।।
सेज है सूनी
प्यास बढ़ती दूनी
हृदय जले।।
ना बीते रातें
किससे करूँ बातें
याद सताए।।
~अशोक बैरवा
कहे सजना
ये सोलह श्रृंगार
ना जाओ दूर।।
बिंदिया कहे
नयना नीर बहे
आ जाओ पिया।।
तेरी जोगन
ना सम्भले यौवन
राह निहारे।।
सेज है सूनी
प्यास बढ़ती दूनी
हृदय जले।।
ना बीते रातें
किससे करूँ बातें
याद सताए।।
~अशोक बैरवा