सच
सच
कभी कभी सच के साथ
चलते हुए खुद को गिरते – घिरते
देखा हूं।
पड़ जाते हैं अकेले फिर भी
चलते हुए देखा हूं।
संजीव मिश्रा
सच
कभी कभी सच के साथ
चलते हुए खुद को गिरते – घिरते
देखा हूं।
पड़ जाते हैं अकेले फिर भी
चलते हुए देखा हूं।
संजीव मिश्रा