सच
क्या गलत है क्या सही, सब आप जानते हो।
लालच के खातिर क्यूं , गधे को बाप मानते हो।।
जिस सुख के लिए यारों तुम सच से भागते हो।
बस हां इसी वजह से प्यारों मर्कट सा नाचते हो।।
जिस दिन से सीख लोगे और सच को सच कहोगे।
हां सच कहूं मैं ‘संजय’, तुम सुख से जीयो मरोगे।।
सत्यम शिवम् सुंदरम
जय श्री सीताराम