सच बयानी,
हर हाथ मेरे लिए ही उठे ये आसान नहीं,
क़लन्दर हूँ कद का कोई अरमान नहीं,
मरने पे आ जाऊं तो दिल बेखौफ मरे,
जमीं जज्बात की है कोई आसमान नहीं,
हर हाथ मेरे लिए ही उठे ये आसान नहीं,
क़लन्दर हूँ कद का कोई अरमान नहीं,
मरने पे आ जाऊं तो दिल बेखौफ मरे,
जमीं जज्बात की है कोई आसमान नहीं,