जीत और हार ज़िंदगी का एक हिस्सा है ,
*चलती सॉंसें मानिए, ईश्वर का वरदान (कुंडलिया)*
विपत्ति में, विरोध में अडिग रहो, अटल रहो,
पढ़ता भारतवर्ष है, गीता, वेद, पुराण
न दें जो साथ गर्दिश में, वह रहबर हो नहीं सकते।
मैं मासूम "परिंदा" हूँ..!!
I think she had lost herself
ज़िंदगी की जंग जीतनी हो....
दोस्त को रोज रोज "तुम" कहकर पुकारना
जग में वो ही सच में, सच्चा गुरु कहलाता है
मुझे दर्द सहने की आदत हुई है।
जीवित रहने से भी बड़ा कार्य है मरने के बाद भी अपने कर्मो से
रिश्ता कभी खत्म नहीं होता
सजग निगाहें रखा करो तुम बवाल होंगे।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)