सच का सिपाही
उनको सच्चाई तो है सुननी नहीं,
मुझको तो और कुछ आता नहीं।
हो भले लगते हो रिश्ते में मेरे कुछ भी,
आपसे मेरा कोई नाता नहीं।।
आप समझाओ मुझे झूठ के सौ फायदे,
बात ऐसी कोई भी मुझको समझ आता नहीं।
सच की खातिर मृत्यु से सौ बार की है सामना,
झूठ का सौ जन्म जीवन है मुझे भाता नहीं।।
है नहीं जीवन सरल सच साथ के,
पर वही है मित्र परछाई सा जो जाता नहीं।
कष्ट सहकर भी सदा मै मस्त रहता हूं गुरु,
वो है ऐसा मित्र “संजय” जो जग से घबराता नहीं।।
सभी झूठे और परेशान मित्रों को समर्पित