सच्चे प्यार में ऐसा होता हैै क्यों
सच्चे प्यार में ऐसा होता है क्यों
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जाग मै रही थी,करवट बदल रहा था वो।
चाबुक मेरे पर पड़ी,सरपट दौड़ रहा था वो।
प्यार की मिसाल इससे अधिक होती है क्या ?
मौत मेरी हुई थी,मरघट जा रहा था वो।।
तलाश मेरी थी,भटक रहा था वो,
दिल मेरा ही था,धड़क रह था वो।
प्यार का ताल्लुक भी अजीब होता है,
आंसू मेरे थे,और सिसक रहा था वो।।
चोट मुझे लगी थी,दुखन महसूस कर रहा था वो,
कांटे मुझे चुभे थे,चुभन महसूस कर रहा था वो।
पता नही सच्चे प्यार में ऐसा होता है क्यों ?
खिड़की मेरी बंद थी,घुटन महसूस कर रहा था वो।।
खाना बनाती थी मैं,सब्जी बनाता था वो,
खाना खाती थी मैं,पानी पिलाता था वो।
प्यार में ऐसा सिलसिला चलता है क्यों ?
आराम करती थी मैं,पंखा झलता था वो।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम