#सच्ची_घटना-
#सच्ची_घटना-
◆पैरों में काल, सिर पर महाकाल◆
【प्रणय प्रभात】
वाक़या बीते साल आज ही के दिन यानि 29 अगस्त का है। एक दिन पहले की अपराह्न वेला में भोपाल से उज्जैन जाते समय सीहोर में साढू भाई के यहाँ जमारा प्रवास था। रात्रि विश्राम के उपरांत अगली सुबह जागने के बाद मैं टॉयलेट के लिए कमरे से निकला। दृष्टि बाधा के कारण श्रीमती जी हमेशा की तरह साथ थी।
सुबह का वक़्त होने से घर के सभी अंदरूनी टॉयलेट्स पहले से बुक थे। लिहाजा मैं घर के पिछवाड़े बने टॉयलेट तक पहुँचा। अंदर जा कर डोर को बंद किया। लघुशंका से निवृत्त होकर आराम से फ्लश चलाया और पलट कर बाहर आ गया। यही समय था जब श्रीमती जी की नज़र अनायास अंदर गई। जहाँ चमचमाती सफेद टाइल्स पर अपनी कालिमा की चमक बिखेरते नाग बाबा प्लेटफार्म पर चढ़ने के प्रयास में थे।
पाकिस्तान के पूर्व मंत्री शेख (चिल्ली) राशिद के अंदाज़ में कहूं तो महाराज की लंबाई कम से कम आधा-पौन मीटर की थी। मतलब एकदम साफ़ था। जिस समय में अंदर था वो मेरे पाँव के आसपास ही थे। लगभग ढाई से तीन मिनट की इस अवधि में किसी भी पल कुछ भी संभव था। बावजूद इसके कृपा रही मेरे बाबा महाकाल की। जिनकी असीम कृपा से अनिष्ट टल गया।
संभवतः यह श्रीमती जी की सतत शिव उपासना का सुफल था। संभव है कि मेरी अपनी आस्था का भी थोड़ा-बहुत योगदान एक बड़े संकट को टालने में रहा हो। महाकाल बाबा के परम भक्त साढू भाई अजय सक्सेना व साली साहिबा सीमा के पुण्य-कर्म भी अवश्य प्रभावी रहे होंगे। अन्यथा मुझ जैसे अधमरे के लिए एक फुसकार ही काफी होती शायद।
एक बार फिर कह सकता हूँ कि जब तक ईष्ट दयावान है कोई अनिष्ट आपके साथ नहीं हो सकता। संयोग की बात यह भी है कि श्री शिवाय नमस्तुभ्यम का मंत्र सीहोर निवासी श्री शिवपुराण वाचक पं. श्री प्रदीप मिश्रा जी के श्रीमुख से ही पहली बार टीव्ही पर सुना था। जिसका मानसिक जप दिन-रात स्वतः चला करता है। सामान्यतः महा-मृत्यंजय महामंत्र का मानसिक पाठ मैं पहले से करता आ रहा हूँ। जय हो महाराजाधिराज बाबा महाकालेश्वर की। जिन्होंने एक बार फिर अपने एक अधम भक्त की रक्षा की। वो भी पहली नहीं दूसरी बार। पहली बार कर्क-बाधा से और दूसरी बार सर्प-बाधा से। संयोग से कल पुरुषोत्तम माह के श्रावण माह का समापन भी है। लगा कि इस प्रासंगिक कथा को एक बार फिर आपके साथ साझा करूं। वो भी उसी सीहोर की धरती पर स्थित उसी घर से, जहां इस कथानक का जन्म हुआ। जय महाकाल। जय सियाराम।।
●संपादक/न्यूज़&व्यूज़●
श्योपुर (मध्यप्रदेश)