Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Oct 2018 · 2 min read

सच्ची श्रद्धांजलि

अक्टूबर २०१८
#प्रिया मैथिल
हाथ में लाठी, तन पे लंगोटी…दुबला -पतला शरीर, साधारण कद – काठी …..किन्तु कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि साधारण चेहरे मोहरे वाला ये असाधारण महामानव विश्व के महापुरुषों की प्रेरणा बन जाएगा…
बापू… ये कहते ही निर्विरोध अंतर में प्रेम और करुणा भर जाती है…और भरे भी क्यों ना ,, जो व्यक्ति अपने शत्रु तक से कुशल क्षेम पूछे .. जो केवल सत्य को पूजा नहीं वरन् सत्य को जिया हो. जिसने कभी चुनौतियों के कारण अपने उसूलों का समझौता न किया हो …वह कैसे ना प्रेम के योग्य हो?
किन्तु आज भी कुछ थोड़े लोग अपने तर्कों के आधार पर बापू का विरोध करते है .. बात तब चुभती है जब वे बापू को जाने किन- किन संज्ञाओं से विभूषित करते है… यहां बात कृतघ्नता की नहीं है… बात उस अविवेक पूर्ण दृष्टि की है जो केवल १ ही तराजू में हर चीज तौलना जानते है… इस युग में उनसे और अपेक्षा भी क्या की जा सकती है…मेरे कुछ मित्र इस बात के विरोधी हो सकते है .. बिल्कुल हो!
में उनके विचारो का सम्मान करती हूं ,,,हो सकता है वह गांधी जीवन को ठीक प्रकार से समझे ही ना हो …उनसे मेरा विरोध नहीं है। वह अलग विषय है..मेरा उद्देश्य यहां ये है भीनहीं ..
अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि आगे आने वाले समय में देश की युवा पीढ़ी शायद ही विश्वास कर पाए कि इतिहास में कभी कोई हाड़ -मांस वाला गांधी भी था….!!भय इसी बात का है के ये बात अब सत्य सिद्ध हो रही है…
#माई एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ (सत्य के प्रयोग)… स्वयं गांधी द्वारा लिखी गई आत्मकथा… जिस निडरता और साहस के साथ उन्होंने अपने जीवन का सत्य उद्घाटित किया है वह निश्चित तौर पर गांधी जैसा दिलेर व्यक्तिव ही कर सकता है.. गांधीजी का जीवन बेजोड़ था.. बेजोड़ था उनका जीने का तरीका…. इसलिए यह इस देश के हर आयु वर्ग के व्यक्ति की नैतिक ज़िम्मेदारी है .. की वह गांधी रूपी विचार को अपने आचरण में उतारे…गांधी को जाने.. उन्हें पढ़े. उन्हें समझे…… चाहे वह स्कूल कॉलेज का युवा या कोई बुजुर्ग…अस्पताल में काम करने वाला डॉक्टर हो या खेत में काम करने वाला किसान… अपने अंदर गांधी को जिंदा रखे….. . बहरहाल गांधी जी की १५० वी वर्षगांठ पर इससे बेहतर शरुआत और क्या होगी…. उनकी आत्मकथा पढ़कर यदि उनके जीवन की कोई १ बात ही हम अपना कर अपने जीवन में उतार सके तो
इस महान आत्मा के लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी!!!
वन्दे मातरम
जय हिन्द!

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 437 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Priya Maithil
View all
You may also like:
ऐसी विकट परिस्थिति,
ऐसी विकट परिस्थिति,
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*युगों-युगों से देश हमारा, भारत ही कहलाता है (गीत)*
*युगों-युगों से देश हमारा, भारत ही कहलाता है (गीत)*
Ravi Prakash
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
एक दिन मजदूरी को, देते हो खैरात।
Manoj Mahato
आया दिन मतदान का, छोड़ो सारे काम
आया दिन मतदान का, छोड़ो सारे काम
Dr Archana Gupta
चोंच से सहला रहे हैं जो परों को
चोंच से सहला रहे हैं जो परों को
Shivkumar Bilagrami
ये उदास शाम
ये उदास शाम
shabina. Naaz
क्षणिका ...
क्षणिका ...
sushil sarna
कर लो कभी
कर लो कभी
Sunil Maheshwari
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
यहां लोग सच बोलने का दावा तो सीना ठोक कर करते हैं...
Umender kumar
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
सच तो आज कुछ भी नहीं हैं।
Neeraj Agarwal
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
बाट का बटोही ?
बाट का बटोही ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
गुनाहों के देवता तो हो सकते हैं
गुनाहों के देवता तो हो सकते हैं
Dheeru bhai berang
कुछ अपनी कुछ उनकी बातें।
कुछ अपनी कुछ उनकी बातें।
सत्य कुमार प्रेमी
जब से हैं तब से हम
जब से हैं तब से हम
Dr fauzia Naseem shad
श्री गणेश वंदना
श्री गणेश वंदना
Kumud Srivastava
नव्य द्वीप का रहने वाला
नव्य द्वीप का रहने वाला
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
जुगनू
जुगनू
Dr. Pradeep Kumar Sharma
■ हाय राम!!
■ हाय राम!!
*प्रणय प्रभात*
2439.पूर्णिका
2439.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
गणतंत्र का जश्न
गणतंत्र का जश्न
Kanchan Khanna
संतोष भले ही धन हो, एक मूल्य हो, मगर यह ’हारे को हरि नाम’ की
संतोष भले ही धन हो, एक मूल्य हो, मगर यह ’हारे को हरि नाम’ की
Dr MusafiR BaithA
Ajj purani sadak se mulakat hui,
Ajj purani sadak se mulakat hui,
Sakshi Tripathi
1B_ वक्त की ही बात है
1B_ वक्त की ही बात है
Kshma Urmila
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
मुझको अपनी शरण में ले लो हे मनमोहन हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कण कण में है श्रीराम
कण कण में है श्रीराम
Santosh kumar Miri
राम आधार हैं
राम आधार हैं
Mamta Rani
निराला जी पर दोहा
निराला जी पर दोहा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दुनिया में सब ही की तरह
दुनिया में सब ही की तरह
डी. के. निवातिया
Loading...