सच्ची श्रद्धांजलि
अक्टूबर २०१८
#प्रिया मैथिल
हाथ में लाठी, तन पे लंगोटी…दुबला -पतला शरीर, साधारण कद – काठी …..किन्तु कोई कल्पना भी नहीं कर सकता कि साधारण चेहरे मोहरे वाला ये असाधारण महामानव विश्व के महापुरुषों की प्रेरणा बन जाएगा…
बापू… ये कहते ही निर्विरोध अंतर में प्रेम और करुणा भर जाती है…और भरे भी क्यों ना ,, जो व्यक्ति अपने शत्रु तक से कुशल क्षेम पूछे .. जो केवल सत्य को पूजा नहीं वरन् सत्य को जिया हो. जिसने कभी चुनौतियों के कारण अपने उसूलों का समझौता न किया हो …वह कैसे ना प्रेम के योग्य हो?
किन्तु आज भी कुछ थोड़े लोग अपने तर्कों के आधार पर बापू का विरोध करते है .. बात तब चुभती है जब वे बापू को जाने किन- किन संज्ञाओं से विभूषित करते है… यहां बात कृतघ्नता की नहीं है… बात उस अविवेक पूर्ण दृष्टि की है जो केवल १ ही तराजू में हर चीज तौलना जानते है… इस युग में उनसे और अपेक्षा भी क्या की जा सकती है…मेरे कुछ मित्र इस बात के विरोधी हो सकते है .. बिल्कुल हो!
में उनके विचारो का सम्मान करती हूं ,,,हो सकता है वह गांधी जीवन को ठीक प्रकार से समझे ही ना हो …उनसे मेरा विरोध नहीं है। वह अलग विषय है..मेरा उद्देश्य यहां ये है भीनहीं ..
अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था कि आगे आने वाले समय में देश की युवा पीढ़ी शायद ही विश्वास कर पाए कि इतिहास में कभी कोई हाड़ -मांस वाला गांधी भी था….!!भय इसी बात का है के ये बात अब सत्य सिद्ध हो रही है…
#माई एक्सपेरिमेंट्स विथ ट्रुथ (सत्य के प्रयोग)… स्वयं गांधी द्वारा लिखी गई आत्मकथा… जिस निडरता और साहस के साथ उन्होंने अपने जीवन का सत्य उद्घाटित किया है वह निश्चित तौर पर गांधी जैसा दिलेर व्यक्तिव ही कर सकता है.. गांधीजी का जीवन बेजोड़ था.. बेजोड़ था उनका जीने का तरीका…. इसलिए यह इस देश के हर आयु वर्ग के व्यक्ति की नैतिक ज़िम्मेदारी है .. की वह गांधी रूपी विचार को अपने आचरण में उतारे…गांधी को जाने.. उन्हें पढ़े. उन्हें समझे…… चाहे वह स्कूल कॉलेज का युवा या कोई बुजुर्ग…अस्पताल में काम करने वाला डॉक्टर हो या खेत में काम करने वाला किसान… अपने अंदर गांधी को जिंदा रखे….. . बहरहाल गांधी जी की १५० वी वर्षगांठ पर इससे बेहतर शरुआत और क्या होगी…. उनकी आत्मकथा पढ़कर यदि उनके जीवन की कोई १ बात ही हम अपना कर अपने जीवन में उतार सके तो
इस महान आत्मा के लिए यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी!!!
वन्दे मातरम
जय हिन्द!