सच्ची दोस्ती
वो बेखबर थे हमेशा से बेखबर ही रहे
और हम हर अदा पर उनकी फना होते रहे
इजहार ए मोहब्बत जब भी चाहा करना हमने
मुस्कुरा कर देखा जुल्फें झटकी और चले गए
हमने दोस्ती को नया मुकाम देना चाहा
उन्होंने हर वक्त दोस्ती को दोस्ती रहने दिया
दोस्ती भी खूब निभाई आखरी दम तक
डोली उनकी उठी जनाजे पर ना आंसू बहाए
डोली से उसने झांक जनाजे को सजदा किया
दोस्ती को कायम रखा पर आंसू दफन कर लिए
हाथ उठा ईबादत में खुदा से दुआ मांगी
जहां भी रहूं मैं जैसा भी रहूं मेरी सलामती मांगी
वीर कुमार जैन
03 जुलाई 2021