सच्ची कसम
कोरोना काल के दौरान लॉक डाउन में जब कुछ सख्ती कम हुई तो ग्वाला मुन्नालाल की पत्नी ने उससे कहा
‘ देखो अब खुला दूध लोग कम ले रहे हैं और इससे हमारी बिक्री भी कम हो गई है अब हम ये बीस – बीस भैंसें रखकर क्या करेंगे , हम लोग बैंक के खाते में तो पैसा जमा कर रखने में विश्वास करते नहीं हैं जो अब बैंक जा कर जमा पैसे निकाल लाएं । जब कभी हम लोगों के पास पैसे जुड़े तो हम लोगों ने उसकी एक भैंस और खरीद ली । अब यही भैंसें ही हमारी एफ डी हैं । अतः कल जब सुबह प्रतिबंध के साथ हाट लगे तो तुम उसमें हमारी एक भैंस बेंच आना , इससे हमें कुछ नगद पैसे खर्च करने के लिए हो जाएंगे , दूध का उत्पादन भी बिक्री के हिसाब से कुछ कम हो जाएगा ।’
अगले दिन सुबह ग्वाला मुन्नालाल सुबह जल्दी उठकर हाट बाज़ार के लिए तैयार हो कर घर के दलान में खूंटे से बंधी एक भैंस को खोलकर उसकी रस्सी पकड़ कर घर से बाहर निकलने लगा तो उसकी पत्नी ने उसे भोजन की पोटली पकड़ाते हुए कहा
‘ ए जी सुनो अगर 30,000 रुपए में यह भैंस बेंचते हो तो बाजार बेचने इसे मत ले जाओ ₹30000 में मैं यह भैंस तुमसे अभी खरीद लेती हूं और इसके ₹30000 तुम मुझसे अभी ले लो । ‘
इस पर ग्वाला मुन्नालाल पत्नी से बोला नहीं
‘ मैं इसे बाजार बेचने के लिए ही ले जाऊंगा । ‘
हाट में पहुंचकर उसने दूरी बनाए रखते हुए एक पेड़ की छाया के नीचे अपनी भैंस लेकर बेचने के लिए खड़ा हो गया । काफी देर बाद पहला ग्राहक जब उसके पास आया और उसने पूछा
‘ भैया यह भैंस किसने की बेंच रहे हो ? ‘
तो ग्वाला मुन्नालाल बोला
‘ हुजूर ₹ 35000 की है । ‘
इस पर वह ग्राहक मोल भाव करने के इरादे से बोला
‘ क्या ₹ 25000 की दोगे ?
इस पर ग्वाला मुन्नालाल बोला
‘ भइया सच्ची कसम खाकर कहता हूं कि घर से निकलते ही इसके 30,000 रुपए दाम लग गए थे । अब इसके आगे तुम खुद ही सोच लो कि कितने की होगी ।