Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Sep 2024 · 4 min read

सच्चा प्रेम

सुमन और सरिता की पहली मुलाकात बहुत साधारण थी, लेकिन वह मुलाकात दोनों के लिए जीवन बदलने वाली साबित हुई। सुमन एक मध्यमवर्गीय परिवार की 30 वर्षीय महिला थी, जिसने अपनी ज़िन्दगी अपने परिवार और समाज की उम्मीदों को पूरा करने में बिताई थी। उसकी शादी 10 साल पहले एक अच्छे परिवार में हुई थी, लेकिन उसकी शादी में न प्यार था न समझ। वह सिर्फ़ अपने पति और बच्चों की देखभाल करती रही, अपने जीवन में कहीं खो गई थी।
दूसरी तरफ़ सरिता थी, 28 साल की एक स्वतंत्र सोच रखने वाली युवती, जो किसी भी सामाजिक बंधन में नहीं बंधी थी। वह अपने जीवन में बहुत ही स्पष्ट थी कि उसे क्या चाहिए। वह एक चित्रकार थी, जिसका जीवन रंगों से भरा हुआ था। उसकी कला में उसकी ज़िन्दगी के सारे रंग नज़र आते थे – कभी खुशियों के, कभी दर्द के, और कभी अकेलेपन के।
एक दिन, जब सुमन अपने बच्चों के स्कूल के एक कार्यक्रम में गई थी, वहीं उसकी मुलाकात सरिता से हुई। सरिता वहां अपनी एक चित्र प्रदर्शनी में आई हुई थी। दोनों की नज़रें एक दूसरे से मिलीं, और एक अजीब सा आकर्षण दोनों को महसूस हुआ। सुमन ने सरिता की चित्रकारी की तारीफ की, और सरिता ने सुमन की आँखों में कुछ अनकही बातें पढ़ लीं। उस मुलाकात ने दोनों के दिल में एक बीज बो दिया, जो धीरे-धीरे प्यार का पौधा बनने वाला था।
उनकी मुलाकातें अब धीरे-धीरे बढ़ने लगीं। सरिता और सुमन ने एक दूसरे के साथ समय बिताना शुरू किया। वे साथ में कैफे जाते, बगीचों में घूमते, और जीवन की छोटी-छोटी खुशियों का आनंद लेते। सरिता सुमन के जीवन में वह खुशी और स्वतंत्रता लेकर आई, जो वह कहीं खो चुकी थी।
सुमन को सरिता के साथ रहना अच्छा लगता था, क्योंकि सरिता ने उसे वह महसूस कराया जो उसने कभी नहीं किया था—अपनी खुद की पहचान। सरिता ने उसे बताया कि ज़िन्दगी में सबसे ज़रूरी खुद से प्यार करना है, और यह कि समाज की धारणाओं से परे, हमे अपने सपनों का पीछा करना चाहिए।
धीरे-धीरे, सुमन का प्रेम सरिता के लिए गहरा होता गया। वह समझने लगी कि उसकी शादी में जो कमी थी, वह इस प्रेम में पूरी हो रही थी। सरिता के प्रति उसकी भावनाएं अब सिर्फ दोस्ती तक सीमित नहीं रहीं, और उसे महसूस हुआ कि वह सरिता से प्यार करने लगी है। यह उसके लिए एक नई अनुभूति थी—एक नई पहचान, जिसे स्वीकारने में उसे खुद पर थोड़ा संकोच हुआ।
लेकिन इस प्रेम की राह आसान नहीं थी। सुमन की समाज में एक सम्मानित स्थिति थी, और उसने अपनी शादी, बच्चों और परिवार की ज़िम्मेदारियों को कभी नहीं छोड़ा था। जब उसे यह एहसास हुआ कि वह सरिता के लिए अपने पति से दूर हो रही है, तो उसने अपने आपको कई बार रोकने की कोशिश की। उसने खुद को समझाने की कोशिश की कि यह सिर्फ एक भ्रम है, एक अस्थायी भावना, जो उसकी वास्तविकता से दूर है।
वहीं, सरिता ने सुमन की इन भावनाओं को समझा। उसने सुमन से कहा कि वह उसे किसी भी तरह की ज़बरदस्ती नहीं करना चाहती। वह चाहती थी कि सुमन खुद इस रिश्ते को लेकर स्पष्ट हो। सरिता ने उसे यह भी कहा कि अगर वह इस रिश्ते को छोड़ना चाहती है, तो वह इसे समझेगी और उसका सम्मान करेगी।
सुमन के लिए यह समय बेहद कठिन था। एक तरफ उसका परिवार था, जो उसकी ज़िन्दगी का हिस्सा था, और दूसरी तरफ सरिता, जिसने उसे खुद की पहचान दिलाई थी। यह द्वंद्व उसके भीतर उथल-पुथल मचाने लगा।
उसके पति ने भी उसके बदलते व्यवहार को महसूस किया। उसे यह समझ नहीं आया कि सुमन अचानक से इतनी खोई-खोई क्यों रहने लगी है। उसने उससे बात करने की कोशिश की, लेकिन सुमन कुछ भी स्पष्ट नहीं कर पाई। वह खुद अपने दिल की आवाज़ सुनने से डर रही थी।
आखिरकार, सुमन ने अपने दिल की आवाज़ को सुना और अपने जीवन में एक बड़ा फैसला लिया। उसने अपने पति से बात की और उसे अपने दिल की सच्चाई बताई। यह उसके लिए बहुत कठिन था, लेकिन उसने हिम्मत दिखाई। उसके पति ने इसे समझने की कोशिश की, लेकिन वह इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पाया। उनकी शादी टूट गई, लेकिन इस बार सुमन के दिल में कोई पछतावा नहीं था।
सरिता ने सुमन का साथ दिया, और दोनों ने मिलकर एक नई ज़िन्दगी की शुरुआत की। यह ज़िन्दगी आसान नहीं थी, समाज ने उन्हें कई तरह से चुनौती दी, उनका मजाक उड़ाया, लेकिन उन्होंने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा।
सुमन और सरिता ने एक साथ नया जीवन शुरू किया। उन्होंने एक छोटा सा घर लिया, जहां सरिता अपनी चित्रकारी करती और सुमन एक छोटी सी लाइब्रेरी चलाने लगी। उन्होंने समाज की परवाह नहीं की, और अपनी छोटी-छोटी खुशियों को संजोया।
समय के साथ, सुमन के बच्चे भी समझ गए कि उनकी मां की खुशियां क्या हैं, और उन्होंने भी इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया। सरिता और सुमन ने एक साथ कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उनका प्रेम हर बाधा को पार कर गया।
उनका जीवन एक नए आकाश की तरह खुल गया, जिसमें कोई सीमा नहीं थी। उनका प्रेम एक मिसाल बन गया उन लोगों के लिए जो अपने दिल की आवाज़ सुनने से डरते हैं। उन्होंने दिखाया कि सच्चा प्रेम वह है जो आपको खुद से मिलाता है, और आपको वह बनने की प्रेरणा देता है, जो आप वास्तव में हैं।
और इस तरह, सुमन और सरिता ने अपने जीवन में वह हासिल किया, जो उन्हें कभी नहीं लगा था कि मिल सकता है—सच्चा प्रेम, आज़ादी और एक नई पहचान।

*****

Language: Hindi
18 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
F
F
*प्रणय प्रभात*
२०२३ में विपक्षी दल, मोदी से घवराए
२०२३ में विपक्षी दल, मोदी से घवराए
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
क्या वायदे क्या इरादे ,
क्या वायदे क्या इरादे ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
कथनी और करनी
कथनी और करनी
Davina Amar Thakral
कसक
कसक
Dipak Kumar "Girja"
सुविचार
सुविचार
Sunil Maheshwari
मैं सोचता हूँ उनके लिए
मैं सोचता हूँ उनके लिए
gurudeenverma198
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
जब कोई हाथ और साथ दोनों छोड़ देता है
Ranjeet kumar patre
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कलाकार की कलाकारी से सारे रिश्ते बिगड़ते हैं,
कलाकार की कलाकारी से सारे रिश्ते बिगड़ते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
Shashi kala vyas
कैसा फसाना है
कैसा फसाना है
Dinesh Kumar Gangwar
शिव आराधना
शिव आराधना
Kumud Srivastava
हिन्दी
हिन्दी
Dr.Pratibha Prakash
" तेरा एहसान "
Dr Meenu Poonia
ज्ञात हो
ज्ञात हो
Dr fauzia Naseem shad
❤️मेरी मम्मा ने कहा...!
❤️मेरी मम्मा ने कहा...!
Vishal Prajapati
जल संरक्षण बहुमूल्य
जल संरक्षण बहुमूल्य
Buddha Prakash
में तेरी हर बात और जिद्द मान लूंगा अपने झगड़ते में
में तेरी हर बात और जिद्द मान लूंगा अपने झगड़ते में
पूर्वार्थ
कोई जिंदगी में यूँ ही आता नहीं
कोई जिंदगी में यूँ ही आता नहीं
VINOD CHAUHAN
हमारे दुश्मन सारे
हमारे दुश्मन सारे
Sonam Puneet Dubey
"जन्नत का रास्ता"
Dr. Kishan tandon kranti
"राह अनेक, पै मँजिल एक"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
संग सबा के
संग सबा के
sushil sarna
दूरी
दूरी
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
रफ़्ता रफ़्ता (एक नई ग़ज़ल)
रफ़्ता रफ़्ता (एक नई ग़ज़ल)
Vinit kumar
हृदय की बेचैनी
हृदय की बेचैनी
Anamika Tiwari 'annpurna '
रामलला
रामलला
Saraswati Bajpai
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??
दीपक झा रुद्रा
3231.*पूर्णिका*
3231.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...