सच्चा जीना।
हम भूतों को जपते हैं।
भूतों से मिलते और मिलाते है।
हम आज भी भूतों को पूजते हैं।
अगर हम वर्तमान को पूजे तो भविष्य बन जायेगा।
लेकिन हम हमेशा भूतों के पीछे पीछे दौड़ लगाते है।
तलाश को नही साधते हैं।प्रशन को उठाते हैं।
जब तक उत्तर कहीं गुम हो जाता है।
और हम आगे बढ़ जाते हैं।
हमारा जीवन एक खोज है।
पर! हम उसको भोगी बनाते हैं।
साध कर जीना ,संयम से जीना।
खोज कर , और खोद कर पीना।
इसी को कहते हैं सच्चा जीना।