सच्चाई की मूठ
जबसे सबने छोड़ दी,.सच्चाई की मूठ ।
बाजारों में बिक गया,झटपट सारा झूठ ।।
जल्दी से भरते नही,…वहाँ दिलों के घाव ।
धू धू कर के जल गया ,जहाँ प्रेम सद्भाव ।।
रमेश शर्मा
जबसे सबने छोड़ दी,.सच्चाई की मूठ ।
बाजारों में बिक गया,झटपट सारा झूठ ।।
जल्दी से भरते नही,…वहाँ दिलों के घाव ।
धू धू कर के जल गया ,जहाँ प्रेम सद्भाव ।।
रमेश शर्मा