सच्चाई की डगर*
मन शीतल पावन हो जाये।
उर में शुभ इच्छा छा जाये।
शुद्ध सत्व शिवता आ जाये।
शांत राशियों का उद्गम हो।
निर्मलता का मधु आगम हो।
दया भाव से आँखें नम हो।
संवेदना करे रखवाली।
वाणी हो कोमल मतवाली।
सबके आगे आये थाली।
मधुर वचन का आलय हो मन।
साफ स्वच्छ हो हर मानव तन।
मेहनत से आये उत्तम धन।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।