Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Jul 2023 · 1 min read

सचिन सीमा की प्रेम कहानी

तू कैसी घरवाली लाया।
बच्चों की महतारी लाया।।
हुआ बवंडर दो मुल्कों में।
आग भरी चिंगारी लाया।।
खेल के बाजी पबजी पगला।
खुद अपनी बरबादी लाया।।
ना अकल ना सकल है तेरी।
आफत बहुत करारी लाया।।
हुई ना जो अपने मुल्क की।
करवाने क्या जासूसी लाया।।
मिली मौज ना अपने देश में।
खुद में कहां की आगी लाया।।
मंशा में तेरी अगर खोट है।
साथ में जैल की चाकी लाया।।
चार दिनों का भूत है मूरख।
तू चालू बहुत जनानी लाया।।
*******************************
उमेश मेहरा
गाडरवारा ( एम पी)
979611151

Language: Hindi
2 Likes · 564 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
महसूस करो
महसूस करो
Dr fauzia Naseem shad
जो संस्कार अपने क़ानून तोड़ देते है,
जो संस्कार अपने क़ानून तोड़ देते है,
शेखर सिंह
स्वयं को सुधारें
स्वयं को सुधारें
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
खुश रहने वाले गांव और गरीबी में खुश रह लेते हैं दुःख का रोना
खुश रहने वाले गांव और गरीबी में खुश रह लेते हैं दुःख का रोना
Ranjeet kumar patre
क्यो नकाब लगाती हो
क्यो नकाब लगाती हो
भरत कुमार सोलंकी
जनदृष्टि संस्थान, बदायूँ द्वारा
जनदृष्टि संस्थान, बदायूँ द्वारा "राष्ट्रीय उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान-2024" से सम्मानित हुए रूपेश
रुपेश कुमार
ग़ज़ल (थाम लोगे तुम अग़र...)
ग़ज़ल (थाम लोगे तुम अग़र...)
डॉक्टर रागिनी
शहनाई की सिसकियां
शहनाई की सिसकियां
Shekhar Chandra Mitra
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
पुरानी यादें ताज़ा कर रही है।
Manoj Mahato
दशमेश पिता, गोविंद गुरु
दशमेश पिता, गोविंद गुरु
Satish Srijan
रख अपने वास्ते
रख अपने वास्ते
Chitra Bisht
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
3326.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3326.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
सोच
सोच
Sûrëkhâ
"जड़"
Dr. Kishan tandon kranti
*आदमी यह सोचता है, मैं अमर हूॅं मैं अजर (हिंदी गजल)*
*आदमी यह सोचता है, मैं अमर हूॅं मैं अजर (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
शिक्षक की भूमिका
शिक्षक की भूमिका
Shashi kala vyas
हिंदी दोहे- पौधारोपण
हिंदी दोहे- पौधारोपण
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कुछ लोग होते है जो रिश्तों को महज़ इक औपचारिकता भर मानते है
कुछ लोग होते है जो रिश्तों को महज़ इक औपचारिकता भर मानते है
पूर्वार्थ
शीर्षक – रेल्वे फाटक
शीर्षक – रेल्वे फाटक
Sonam Puneet Dubey
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
नदी तट पर मैं आवारा....!
नदी तट पर मैं आवारा....!
VEDANTA PATEL
Conscience
Conscience
Shyam Sundar Subramanian
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
हनुमान वंदना । अंजनी सुत प्रभु, आप तो विशिष्ट हो।
Kuldeep mishra (KD)
मेरी कविता
मेरी कविता
Raju Gajbhiye
जान हो तुम ...
जान हो तुम ...
SURYA PRAKASH SHARMA
जाकर वहाँ मैं क्या करुँगा
जाकर वहाँ मैं क्या करुँगा
gurudeenverma198
नये साल के नये हिसाब
नये साल के नये हिसाब
Preeti Sharma Aseem
कभी कभी कहना अच्छा होता है
कभी कभी कहना अच्छा होता है
Rekha Drolia
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
*प्रणय*
Loading...