सचिन सीमा की प्रेम कहानी
तू कैसी घरवाली लाया।
बच्चों की महतारी लाया।।
हुआ बवंडर दो मुल्कों में।
आग भरी चिंगारी लाया।।
खेल के बाजी पबजी पगला।
खुद अपनी बरबादी लाया।।
ना अकल ना सकल है तेरी।
आफत बहुत करारी लाया।।
हुई ना जो अपने मुल्क की।
करवाने क्या जासूसी लाया।।
मिली मौज ना अपने देश में।
खुद में कहां की आगी लाया।।
मंशा में तेरी अगर खोट है।
साथ में जैल की चाकी लाया।।
चार दिनों का भूत है मूरख।
तू चालू बहुत जनानी लाया।।
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उमेश मेहरा
गाडरवारा ( एम पी)
979611151