सचिन के दोहे
विषय :- #इन्द्रियाँ_और_ज्ञानेन्द्रियाँ
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【 रचना】
#प्रश्न १ :- मानव के लिए इन्द्रिय निग्रह क्यों आवश्यक है?
उत्तर:- १
इंद्रिय-निग्रह से सतत , मन होता है शुद्ध।
भव-सागर से मुक्त हो , जन बन जाता बुद्ध।।०१।।
नर से नारायण बने , दूर हटे भय-भीत।
इन्द्रिय-निग्रह इसलिए , अति आवश्यक मीत।।०२।।
#प्रश्न २ :- इंद्रिय वशी मानव की दशा का वर्णन कीजिये।
उत्तर:- २.
इंद्री-वश मानव सदा , ढोता जीवन भार।
करे कुल्हाड़ी से सदा , निज पैरों पर वार।।३।।
सहता जीवन भर सतत , सत्य अनेकों कष्ट।
इंद्रियवश जो हो गया , समझो हुआ विनष्ट।।०४।।
#प्रश्न ३ :- इन्द्रिय निग्रह के साधन क्या क्या हैं?
उत्तर:- ३.
क्षमा दया तप त्याग सह , संयम धैर्य पवित्र।
इंद्रिय निग्रह के लिए , शुचि संसाधन मित्र।।०५।।
जीवन मूल्यों से सजा , उन्नत शील चरित्र।
इंद्रिय निग्रह के सचिन , यह सब साधन मित्र।।०६।।
#प्रश्न ४ :- मनुष्य के लिए संसार साध्य है तो इन्द्रियाँ और ज्ञानेन्द्रियाँ उसका साधन। कैसे?
उत्तर:- ४.
साध्य समूचा विश्व है , साधन इंद्री सत्य।
गोस्वामी ही साधता , किंचित नहीं असत्य।।०७।।
सच शब्दों से है परे , सुख का मूलाधार।
इंद्रिय संयम से मनुज , साध सके संसार।।०८।।
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मैं 【प.संजीव शुक्ल ‘सचिन’】 घोषणा करता हूँ, मेरे द्वारा उपरोक्त प्रेषित रचना मौलिक, स्वरचित है।
【पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’】
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