सचिन के दोहे
??✍️सचिन के दोहे✍️??
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काम काम करते रहे, जीवन हुआ हराम।
धनी बनन की चाह में, मिला नहीं आराम।।१।।
धन की ऐसी लालसा, बिन धन रहा न जाय।
काम करे भूखा मरे, बैठा है वो खाय।।२।।
माया ऐसी मोहिनी, मन से कभी न जाय।
आशा तृष्णा कब मरी, जीवन ही खप जाय।।३।।
माया के बस में रहा, किया जतन दिन रात।
अंत समय ऐसी रही, सूखी दिखती गात।।४।।
पैसा – पैसा कर रहा, पैसे में दिन – रात।
धर्म – कर्म सब भूल के, खाये सूखी भात।।५।।
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पं.संजीव शुक्ल “सचिन”