सघन अंधियारी छायी है
सघन अंधियारी छायी है
तारों ने आस जगायी है
मत कुंठा पालों तुम रजनी
सपनों की बारी आयी है ।
हिय में आशा दीप जलेंगे
मन के सारे तमस मिटेंगे,
श्वेत किरण खेलेगी आँगन
कलुष भाव अब सभी धुलेंगे ।
प्रेम ज्योति भी जगमग होगी
कटुता की हुई विदाई है ।
मत कुंठा पालो तुम रजनी
सपनों की बारी आयी है ।।
सबके सोये भाग जगेंगे
संकल्पों के बीज उगेंगे,
घोर अंधेरों को हराकर
भोर विजय के सुमन खिलेंगे ।
चहक उठेगी दिवा सुनहरी
नव उर्जा उसने पायी है ।
मत कुंठा पालो तुम रजनी
सपनों की बारी आयी है ।।
खुशी के मीठे पल मिलेंगे
शुभता के हैं द्वार खुलेंगे,
सुख की बेला जब आयेगी
घने तिमिर ही दीप जलेंगे ।
होगा उजला सब संसारा
दी आहट यही सुनायी है ।
मत कुंठा पालो तुम रजनी
सपनों की बारी आयी है ।
डॉ रीता सिंह
असिस्टेंट प्रोफेसर
एन के बी एम जी (पी जी) कॉलेज,
चन्दौसी (सम्भल)