सगा होके दगा दिया __ घनाक्षरी
सगा हो के दगा दिया अच्छा नहीं तूने किया ।
कुछ तो न लिया तेरा सुन मेरे भाई रै।।
काम दोनो करते थे निज राह चलते थे।
करते थे दोनो हम अपनी कमाई रै।।
फिर काहे बैर किया _ तोड़ दिया मेरा हिया।
चाही मैने फिर भी तो,तेरी ही भलाई रै।।
मत कर अभिमान अनुनय बात मान ।
छोड़ यह खींचतान प्रीत हमे भायी रै।।
राजेश व्यास अनुनय