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23 Aug 2024 · 1 min read

सगळां तीरथ जोवियां, बुझी न मन री प्यास।

सगळां तीरथ जोवियां, बुझी न मन री प्यास।
मां रे चरणां आवियौ, सुरगां सो आभास।।

जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया…✍️

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