सखि करवा चौथ मनाई (गीत)
सखि करवा चौथ मनाई (गीत)
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सखि करवा चौथ मनाई
(1)
साड़ी मेरी लाल और नथ उस पर पहनी भारी
चूनर गोटेदार कढ़ाई सोने की थी सारी
कर सोलह सिंगार चाँद के दर्शन को मैं आई
सखि करवा चौथ मनाई
(2)
मैंने केवल चाँद देखकर ही अपना व्रत तोड़ा
सारा दिन प्रिय की छवि से ही नाता अपना जोड़ा
चाँद देखने को छलनी चाँदी की थी बनवाई
सखि करवा चौथ मनाई
(3)
प्रियतम रहें सलामत खुद को रखा इसलिए भूखा
निर्जल रही शाम तक मुख था दिनभर सूखा-सूखा
तृप्त हो गई प्रिय ने जल की जब दो घूँट पिलाई
सखि करवा चौथ मनाई
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451