सखियों से इजहार
क्या होगी इससे बड़ी, कोई और उमंग ।
गालों से उतरा नही,…महबूबा का रंग ।।
करे खुशी का प्रियतमा,सखियों से इजहार ।
सरहद से आया पिया,..होली पर इस बार ।।
रमेश शर्मा..
क्या होगी इससे बड़ी, कोई और उमंग ।
गालों से उतरा नही,…महबूबा का रंग ।।
करे खुशी का प्रियतमा,सखियों से इजहार ।
सरहद से आया पिया,..होली पर इस बार ।।
रमेश शर्मा..