Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Sep 2021 · 2 min read

सआदत हसन मंटो: औरत-मर्द के रिश्तो के मनोविज्ञान को समझने वाला लेखक—————–

मौजूदा दौर में जब अब स्त्रीवादी लेखन और विचार के कई नए आयाम सामने आ रहे हैं तब मंटो की उन औरतों की खूब याद आ रही है और इसी बहाने मंटो की भी. लेकिन इसके बावजूद मंटो की औरतों को किसी खांचे में फिट करना मुश्किल होगा.

अपनी कहानी की औरतों के बारे में खुद मंटो कहते हैं, ‘मेरे पड़ोस में अगर कोई महिला हर दिन अपने पति से मार खाती है और फिर उसके जूते साफ करती है तो मेरे दिल में उसके लिए जरा भी हमदर्दी पैदा नहीं होती. लेकिन जब मेरे पड़ोस में कोई महिला अपने पति से लड़कर और आत्महत्या की धमकी दे कर सिनेमा देखने चली जाती है और पति को दो घंटे परेशानी में देखता हूं तो मुझे हमदर्दी होती है.’

मंटो जिस बारीकी के साथ औरत-मर्द के रिश्ते के मनोविज्ञान को समझते थे उससे लगता था कि उनके अंदर एक मर्द के साथ एक औरत भी ज़िंदा है. उनकी कहानियां जुगुप्साएं पैदा करती हैं और अंत में एक करारा तमाचा मारती है और फिर आप पानी-पानी हो जाते हैं.

उनकी एक कहानी है ‘मोज़ील’. यह एक यहूदी औरत (मोज़ील) की कहानी है. उसके पड़ोस में रहने वाले एक सिख आदमी त्रिलोचन को उससे मोहब्बत हो जाती है. वो उससे शादी करना चाहता है लेकिन वो यहूदी औरत उससे शादी नहीं करती. उसे लगता है कि वो सिख उसके हिसाब से खुले मिजाज का नहीं और मजहबी है.

उस सिख को एक दूसरी लड़की अपनी ही बिरादरी की मिल जाती है और वो उससे सगाई कर लेता है. तभी दंगा भड़कता है और उसकी मंगेतर दंगे में फंस जाती है. जिस मोहल्ले में वो रह रही होती है वहां दंगे के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया है.

मोज़ील उसे लेकर उसकी मंगेतर को बचाने उस मोहल्ले में जाती है. वो अपना गाउन उसके मंगेतर को पहना देती है ताकि उसकी मंगेतर एक यहूदी जान पड़े और उन दोनों को वहां से भागने को कहती है.

वो ख़ुद दंगाइयों की भीड़ के सामने बिना कपड़ों के नंगे आ जाती है ताकि दंगाइयों का ध्यान उसकी तरफ हो जाए. तभी वो सीढ़ियों से गिर जाती है और लहूलुहान हो जाती है. सरदार अपनी पगड़ी से उसके नंगे जिस्म को ढकने की कोशिश करता है लेकिन मोज़ील उसकी पगड़ी को फेंकते हुए कहती है कि ‘ले जाओ इस को…अपने इस मजहब को.’
कैसी विडंबना है कि मंटो के जाने के इतने सालों बाद ज़िंदगी भर कोर्ट के चक्कर लगाने वाला, मुफलिसी में जीने वाला, समाज की नफरत झेलने वाला मंटो आज खूब चर्चा में है. उन पर फिल्में बन रही हैं. उनके लेखों को खंगाला जा रहा है. अभी कुछ सालों पहले ही मंटो के लेखों का एक संग्रह ‘व्हाई आई राइट’ नाम से अंग्रेजी में अनुवाद कर निकाला गया है.
लेकिन मंटो अपनी किताब गंजे फरिश्ते में लिखते हैं कि मैं ऐसे समाज पर हज़ार लानत भेजता हूं जहां यह उसूल हो कि मरने के बाद हर शख्स के किरदार को लॉन्ड्री में भेज दिया जाए जहां से वो धुल-धुलाकर आए.

Language: Hindi
Tag: लेख
941 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

साक्षर महिला
साक्षर महिला
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
कहा किसी ने
कहा किसी ने
Surinder blackpen
घर अंगना वीरान हो गया
घर अंगना वीरान हो गया
SATPAL CHAUHAN
सामाजिक न्याय
सामाजिक न्याय
Shekhar Chandra Mitra
" रहस्मयी आत्मा "
Dr Meenu Poonia
आत्मीयकरण-2 +रमेशराज
आत्मीयकरण-2 +रमेशराज
कवि रमेशराज
ढूंढा तुम्हे दरबदर, मांगा मंदिर मस्जिद मजार में
ढूंढा तुम्हे दरबदर, मांगा मंदिर मस्जिद मजार में
Kumar lalit
पाठ कविता रुबाई kaweeshwar
पाठ कविता रुबाई kaweeshwar
jayanth kaweeshwar
तुम आ जाओ एक बार.....
तुम आ जाओ एक बार.....
पूर्वार्थ
ज़िंदगी में वो भी इम्तिहान आता है,
ज़िंदगी में वो भी इम्तिहान आता है,
Vandna Thakur
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"स्त्री के पास"
Dr. Kishan tandon kranti
शेर -
शेर -
bharat gehlot
मुझे हर वो बच्चा अच्छा लगता है जो अपनी मां की फ़िक्र करता है
मुझे हर वो बच्चा अच्छा लगता है जो अपनी मां की फ़िक्र करता है
Mamta Singh Devaa
परिंदों का भी आशियां ले लिया...
परिंदों का भी आशियां ले लिया...
Shweta Soni
गर्व की बात
गर्व की बात
इंजी. संजय श्रीवास्तव
अंधविश्वास का पोषण
अंधविश्वास का पोषण
Mahender Singh
#पैरोडी-
#पैरोडी-
*प्रणय*
झूठे से प्रेम नहीं,
झूठे से प्रेम नहीं,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
लड़की होना ही गुनाह है।
लड़की होना ही गुनाह है।
Dr.sima
ये लफ़्ज़ ये अल्फाज़,
ये लफ़्ज़ ये अल्फाज़,
Vaishaligoel
हवाओं के भरोसे नहीं उड़ना तुम कभी,
हवाओं के भरोसे नहीं उड़ना तुम कभी,
Neelam Sharma
करवाचौथ
करवाचौथ
Dr Archana Gupta
रूठे को पर्व ने मनाया
रूठे को पर्व ने मनाया
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
सच तो यही हैं।
सच तो यही हैं।
Neeraj Agarwal
!...............!
!...............!
शेखर सिंह
दूर दूर रहते हो
दूर दूर रहते हो
surenderpal vaidya
कविता - 'टमाटर की गाथा
कविता - 'टमाटर की गाथा"
Anand Sharma
जो लिखा है
जो लिखा है
Dr fauzia Naseem shad
Loading...