सआदत हसन मंटो: औरत-मर्द के रिश्तो के मनोविज्ञान को समझने वाला लेखक—————–
मौजूदा दौर में जब अब स्त्रीवादी लेखन और विचार के कई नए आयाम सामने आ रहे हैं तब मंटो की उन औरतों की खूब याद आ रही है और इसी बहाने मंटो की भी. लेकिन इसके बावजूद मंटो की औरतों को किसी खांचे में फिट करना मुश्किल होगा.
अपनी कहानी की औरतों के बारे में खुद मंटो कहते हैं, ‘मेरे पड़ोस में अगर कोई महिला हर दिन अपने पति से मार खाती है और फिर उसके जूते साफ करती है तो मेरे दिल में उसके लिए जरा भी हमदर्दी पैदा नहीं होती. लेकिन जब मेरे पड़ोस में कोई महिला अपने पति से लड़कर और आत्महत्या की धमकी दे कर सिनेमा देखने चली जाती है और पति को दो घंटे परेशानी में देखता हूं तो मुझे हमदर्दी होती है.’
मंटो जिस बारीकी के साथ औरत-मर्द के रिश्ते के मनोविज्ञान को समझते थे उससे लगता था कि उनके अंदर एक मर्द के साथ एक औरत भी ज़िंदा है. उनकी कहानियां जुगुप्साएं पैदा करती हैं और अंत में एक करारा तमाचा मारती है और फिर आप पानी-पानी हो जाते हैं.
उनकी एक कहानी है ‘मोज़ील’. यह एक यहूदी औरत (मोज़ील) की कहानी है. उसके पड़ोस में रहने वाले एक सिख आदमी त्रिलोचन को उससे मोहब्बत हो जाती है. वो उससे शादी करना चाहता है लेकिन वो यहूदी औरत उससे शादी नहीं करती. उसे लगता है कि वो सिख उसके हिसाब से खुले मिजाज का नहीं और मजहबी है.
उस सिख को एक दूसरी लड़की अपनी ही बिरादरी की मिल जाती है और वो उससे सगाई कर लेता है. तभी दंगा भड़कता है और उसकी मंगेतर दंगे में फंस जाती है. जिस मोहल्ले में वो रह रही होती है वहां दंगे के बाद कर्फ्यू लगा दिया गया है.
मोज़ील उसे लेकर उसकी मंगेतर को बचाने उस मोहल्ले में जाती है. वो अपना गाउन उसके मंगेतर को पहना देती है ताकि उसकी मंगेतर एक यहूदी जान पड़े और उन दोनों को वहां से भागने को कहती है.
वो ख़ुद दंगाइयों की भीड़ के सामने बिना कपड़ों के नंगे आ जाती है ताकि दंगाइयों का ध्यान उसकी तरफ हो जाए. तभी वो सीढ़ियों से गिर जाती है और लहूलुहान हो जाती है. सरदार अपनी पगड़ी से उसके नंगे जिस्म को ढकने की कोशिश करता है लेकिन मोज़ील उसकी पगड़ी को फेंकते हुए कहती है कि ‘ले जाओ इस को…अपने इस मजहब को.’
कैसी विडंबना है कि मंटो के जाने के इतने सालों बाद ज़िंदगी भर कोर्ट के चक्कर लगाने वाला, मुफलिसी में जीने वाला, समाज की नफरत झेलने वाला मंटो आज खूब चर्चा में है. उन पर फिल्में बन रही हैं. उनके लेखों को खंगाला जा रहा है. अभी कुछ सालों पहले ही मंटो के लेखों का एक संग्रह ‘व्हाई आई राइट’ नाम से अंग्रेजी में अनुवाद कर निकाला गया है.
लेकिन मंटो अपनी किताब गंजे फरिश्ते में लिखते हैं कि मैं ऐसे समाज पर हज़ार लानत भेजता हूं जहां यह उसूल हो कि मरने के बाद हर शख्स के किरदार को लॉन्ड्री में भेज दिया जाए जहां से वो धुल-धुलाकर आए.