संस्कार
पहचान हैं
बनते व्यक्तित्व की
संस्कार है वो।
आदर्श बन
साथ होते हमारे
दिशा बनते।
बिना संस्कार
जीवन दोष युक्त
गिराता सदा।
उच्च विचार
प्रदान कर हमें
दिखाते मार्ग।
पशु समान
होते मनुष्य बिना
संस्कार युक्त।
सुशोभित हैं
जो उच्च संस्कारों से
धन्य है वह।
निरंतर ही
करते है उन्नत
अपने पथ।
छाप छोड़ते
जग में सब पर
वो कर्मवीर।
स्वरचित एवं मौलिक
कंचन वर्मा
शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश