Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Jan 2024 · 1 min read

संस्कारों की रिक्तता

संस्कारों की रिक्तता
संस्कारों की रिक्तता ने रिश्तों को शून्य कर दिया है
सुकून, सम्मान, मर्यादा सब कुछ कहीं खो गया है
माता-पिता की सेवा बच्चों का आदर सब कुछ भूल गए हैं हम
रिश्तों में अहंकार और स्वार्थ का वास
परिजनों के लिए अब कोई वक्त नहीं है
रिश्ते बन गए हैं सिर्फ नाम के लिए
बच्चे माता-पिता का आदर नहीं करते
माता-पिता बच्चों का पालन-पोषण नहीं करते
पति-पत्नी में विश्वास और प्रेम नहीं है
रिश्ते बन गए हैं सिर्फ दिखावे के लिए
संस्कारों की रिक्तता ने समाज को खोखला कर दिया है
आओ, हम सब मिलकर संस्कारों को फिर से जगाएं
और अपने रिश्तों को पुनः मजबूत बनाएं

131 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
खुशियों का दौर गया , चाहतों का दौर गया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
बेटे की माॅं
बेटे की माॅं
Harminder Kaur
बीती एक और होली, व्हिस्की ब्रैंडी रम वोदका रंग ख़ूब चढे़--
बीती एक और होली, व्हिस्की ब्रैंडी रम वोदका रंग ख़ूब चढे़--
Shreedhar
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
विजय दशमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
विजय दशमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं
Sonam Puneet Dubey
पिता
पिता
Swami Ganganiya
फैसला
फैसला
Dr. Kishan tandon kranti
रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी,
रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी,
पूर्वार्थ
अफसोस मेरे दिल पे ये रहेगा उम्र भर ।
अफसोस मेरे दिल पे ये रहेगा उम्र भर ।
Phool gufran
बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नहीं थी,पर समय सबके पास था
बचपन में मेरे दोस्तों के पास घड़ी नहीं थी,पर समय सबके पास था
Ranjeet kumar patre
ଖେଳନା ହସିଲା
ଖେଳନା ହସିଲା
Otteri Selvakumar
4337.*पूर्णिका*
4337.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जितने भी मशहूर हो गए
जितने भी मशहूर हो गए
Manoj Mahato
I want to have a sixth autumn
I want to have a sixth autumn
Bindesh kumar jha
बनना है तो, किसी के ज़िन्दगी का “हिस्सा” बनिए, “क़िस्सा” नही
बनना है तो, किसी के ज़िन्दगी का “हिस्सा” बनिए, “क़िस्सा” नही
Anand Kumar
वैनिटी बैग
वैनिटी बैग
Awadhesh Singh
ढ़ूंढ़ रहे जग में कमी
ढ़ूंढ़ रहे जग में कमी
लक्ष्मी सिंह
संवाद
संवाद
surenderpal vaidya
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
युग परिवर्तन
युग परिवर्तन
आनन्द मिश्र
"अबला" नारी
Vivek saswat Shukla
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
शेखर सिंह
जीवन
जीवन
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
एक कोर्ट में देखा मैंने बड़ी हुई थी भीड़,
एक कोर्ट में देखा मैंने बड़ी हुई थी भीड़,
AJAY AMITABH SUMAN
..
..
*प्रणय*
प्रीत ऐसी जुड़ी की
प्रीत ऐसी जुड़ी की
Seema gupta,Alwar
*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप - शैलपुत्री*
*माँ दुर्गा का प्रथम स्वरूप - शैलपुत्री*
Shashi kala vyas
मैं शब्दों का जुगाड़ हूं
मैं शब्दों का जुगाड़ हूं
भरत कुमार सोलंकी
हिंदी दोहे- पंडित
हिंदी दोहे- पंडित
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ज्वलंत संवेदनाओं से सींची धरातल, नवकोपलों को अस्वीकारती है।
ज्वलंत संवेदनाओं से सींची धरातल, नवकोपलों को अस्वीकारती है।
Manisha Manjari
Loading...