” संस्कारी बहू “
लोग आ चुके थे डाईनिंग रूम का माहौल बहुत ही खुशनुमा था सब हँसी मज़ाक करते हुये खाना खा रहे थे । सीमा गरम गरम रोटियां बेल , सेंक और परोस भी रही थी , ससुर जी के दोस्त की बहू रीता भी सबके साथ बैठ कर खा रही थी । खाना खतम होते ही सीमा ने सबके बर्तन उठाने शुरू किया ही था कि हाथ में दो ग्लास लेकर रीता रसोई की तरफ चल दी….”अरे रीता बेटा ये क्या कर रही हो?” सीमा की सास ने उसके हाथ से ग्लास लेकर डाईनिंग टेबल पर रखते हुये कहा और रीता का हाथ पकड़ अपने बगल में बिठाते हुये बोलीं “हमारे यहाँ बहुयें काम नही करतीं।”
“अजी सुनते हैं जरा नेग तो दिजिये रीता ने हमारे जूठे बर्तन उठाये हैं बहुत संस्कारी बहू है किसी की नज़र ना लगे।”
थोड़ी देर बाद अनुज ने जोर से आवाज़ लगाते हुये कहा।”अरे यार सीमा तुम्हारा काम अभी तक खत्म नही हुआ?”
“आ रही हूँ बाबा बस दस मिनट और दे दो।” सीमा जल्दी – जल्दी काम खतम करने लगी… कमरे में पहुचते ही अनुज बिफर पड़ा।”तुम्हारा रोज़ का यही सिलसिला है।”
” क्या करूँ काम ना करुँ!” सीमा ने हँसते हुये कहा।
“अच्छा एक बात बताओ सीमा तुम्हें खराब नही लगता कि माँ – पिता जी कभी तुम्हारी तारीफ नही करते ?”
“आप भी क्या बात ले कर बैठ गये मुझे बहुत जोर की नींद आ रही है।”
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 10/08/2021 )