संवेदना
कही टूटी हुई छत है, कही खाली पडे बरतन,
मगर बच्चों की खातिर वो, मिठाई साथ लाया है.
जमाने वाले ओ उसका, पकड कर हाथ कहते हैं,
मुबारक हो मुबारक हो, नया इक साल आया है.
कही टूटी हुई छत है, कही खाली पडे बरतन,
मगर बच्चों की खातिर वो, मिठाई साथ लाया है.
जमाने वाले ओ उसका, पकड कर हाथ कहते हैं,
मुबारक हो मुबारक हो, नया इक साल आया है.