संवेदना
संवेदना
से शून्य होना
आदमी के पतन का
आभास देता है
क्या प्रेम,, क्या अपराध क्या-
क्या दया..क्या आघात क्या
दोनों में दोनों का
विरोधाभास देता है
मरघट पे
जाकर उदर की अग्नि बुझाना
निरीह प्राणों का हमारी थाली में आना
जीवित हृदय को बहुत ही संत्रास देता है…
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