संवेदना का फूल
संवेदना का फूल
मेरी बगिया का खिलता हुआ
बिखेरता अपनी सुगंध
चहुं ओर
संवेदना का तारा
मेरे आकाश का टिमटिमाता हुआ
फैलाता अपनी रोशनी
इस छोर से उस छोर
संवेदना का तार
कम्पित होता मेरे हृदय में और
बज जाते सबके दिलों में सजे
साजों के सुर और ताल
एक गरसते बादल से ही घनघोर
संवेदना के कारण
मैं सबको छू पाती
महसूस कर पाती
उनके दिल की बातों को,
भावों को
समझ पाती
उनके दुख दर्द
बांट पाती
उनके घावों पर मरहम
लगा पाती
उन्हें कहीं अपनेपन का अहसास
दिलवा पाती
उन्हें कहीं अपने दिल में जगह दे पाती
उन्हें कुछ सार्थक करने के लिए
प्रेरित कर पाती
उनके कांटों के जंगल को
काटकर व जलाकर
उनके चलने के लिए
उनके मार्ग को प्रशस्त कर पाती
उनकी मंजिल को फूलों की महक से
और दीपों की रोशनी से
जगमग कर पाती।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001