संवेदना एवं सहयोग
राकेश ने इस वर्ष दीपावली पर कुछ नई योजनाएं बना रखी थी। कुछ नए बर्तन एवं कुछ घर की सजावट का सामान एवं नए पर्दे एवं चादर एवं गिलाफ खरीदने का प्रावधान बना रखा था। बच्चों के लिए नए कपड़े एवं पत्नी वंदना के लिए साड़ी एवं श्रृंगार का सामान तथा बाबूजी के लिए नई धोती कुर्ता एवं ऐनक के लिए नई फ्रेम डलवाने का सोचा था। इसके अलावा बच्चों के लिए नई साइकिल दिलवाने का भी निश्चय किया था।
इस बार दीपावली का बोनस भी कुछ अधिक ही मिला था अतः खर्चे में वह कोई कमी नहीं करेगा।
आज ऑफिस में वेतन वितरण दिवस था।
लेखापाल सुधीर लोगों को बारी-बारी से बुलाकर वेतन पैकेट थमा रहे थे। ऑफिस में हंसी खुशी का माहौल था। कल से दीपावली की छुट्टियां थी इसलिए लोग आपस में दीपावली की अग्रिम बधाई दे रहे थे। राकेश ने अपनी बारी आने पर लेखापाल से वेतन रजिस्टर पर हस्ताक्षर कर अपना पैकेट लिया और अपने बैग में रख लिया। उस दिन ऑफिस में उत्सव का माहौल था लोग हंसी मजाक में मशगूल थे। राकेश ने अपना बैग अपनी टेबल की दराज में रख कर लघुशंका करने चले गया , वापस आकर वह बैग लेकर घर जाने के लिए रवाना हुआ। रवाना होने से पहले उसने अपने स्कूटर की चाबी बैग से निकालने के लिए जब बैग खोला तो उसके होश उड़ गए ; उसका वेतन का पैकेट उसमें से नदारद था। उस समय तक अधिकांश लोग घर जा चुके थे।
राकेश की समझ में नहीं आ रहा था वह क्या करें तब उसने यह बात उसके मित्र रोहित को बताई , तब रोहित ने कहा हो ना हो यह कारस्तानी किसी ऑफिस स्टाफ की ही है ; और किसी की हिम्मत नहीं है की दराज से बैग निकाल कर पैकेट गायब कर दे। अवश्य ही कोई राकेश पर नजर रखे था ; कि कब मौका लगे और वह पैकेट पर हाथ साफ कर दे।
तब उसने बताया कि उसे ऑफिस के चपरासी रज्जू पर शक है , क्योंकि पहले भी ऑफिस में से रुपए चोरी होने पर उसका हाथ होने का शक जाहिर हुआ था। उसे जुआ खेलने एवं शराब की लत है जिसके लिए वह किसी भी हद तक गिरकर चोरी भी कर सकता है।
हर महीने अपने आधे से ज्यादा वेतन की रकम वह जुए और शराब में गवां देता है।
रोहित ने कहा जल्दी करो हम दोनों चल कर उसे पकड़ते हैं मुझे पता है वह कहां पर होगा ।
रोहित ने रास्ते में उसके मित्र बल्लू पहलवान को साथ ले लिया और वे रज्जू की बैठक वाले अड्डे पर पहुंचे।
रज्जू अपने मित्र मंडली के साथ गपशप करता मिल गया। रज्जू रोहित और राकेश के साथ बल्लू पहलवान को देखकर कुछ भयभीत सा हो गया , फिर भी वह सामान्य रहने की कोशिश कर रहा था। रज्जू ने पूछा क्या बात है उससे कुछ काम है क्या ? इस पर बल्लू पहलवान ने रज्जू गिरेबान पकड़ कर कहा हम तुझे तेरी ससुराल ले जाने आए हैं।
सच-सच बता दे वरना इतनी मार मारूंगा हड्डी पसली एक हो जाएगी।
रज्जू गिड़गिड़ाने लगा कि वे कौन सी बात कर रहे हैं उसे पता नहीं है।
इस पर वहां बैठे हुए उसके एक साथी ने कहा अभी-अभी कुछ देर पहले रज्जू जब यहां आया था तो बहुत खुश था और कह रहा था कि आज उसे वेतन के साथ डबल बोनस मिला है , वह अपने यारों को धांसू पार्टी देगा और छककर विलायती पिलायेगा। हम भी अचंभे में थे कि 50 ,100 की रोज उधार मांगने वाले के हाथों कौन सा कारूं का खजाना लग गया है , कुछ न कुछ गड़बड़ जरूर है।
इसे सुनते ही बल्लू पहलवान ने एक झन्नाटेदार थप्पड़ रज्जू के गालों पर जड़ दिया। थप्पड़ पड़ते ही रज्जू ऊपर से नीचे तक हिल गया और समझ गया कि अब वह फंस चुका है। वह अधिक देर तक सच्चाई को छुपा नहीं पाएगा। भलाई इसी में है कि वह गलती कुबूल कर ले , वरना पुलिस में मामला गया तो पुलिस वाले बहुत मारेंगे और नौकरी पर भी खतरा हो सकता है।
रज्जू राकेश के पैरों पर गिर गया और गिड़गिड़ाने लगा साहब गलती हो गई मुझे माफ कर दो, मुझ पर कोई पुलिस केस मत करना वरना मैं नौकरी से जाऊंगा।
उसने अपनी जेब से राकेश का वेतन पैकेट निकाला और उसके चरणों पर रख दिया।
वेतन पैकेट देखते ही राकेश की जान में जान आई।
उसने मसले को आगे बढ़ाने की बजाए रज्जू को उसके किए कृत्य को भविष्य में न करने की चेतावनी देकर छोड़ना श्रेयस्कर समझा।
उसने रोहित की सूझबूझ एवं बल्लू पहलवान के सहयोग का हार्दिक आभार व्यक्त किया।