संवेदना अभी भी जीवित है
संवेदना अभी भी जीवित है
विकास के पथ पर अंतिम श्वास लेता वो वृक्ष देख
व्याकुलता से पद स्थिर हो गये हमारे
अनायास ही बह निकली चक्षु से जब अश्रु धारें
ज्ञात हुआ अन्तर्मन में संवेदना अभी भी जीवित है ।
आंगन से अब फुर्र हो गई है नन्हीं चिड़ियां
दाने की प्याली फिर भी मैं रखती नागे बिन
खिड़की पर मैं उसकी प्रतीक्षा करती जब प्रतिदिन ़
ज्ञात हुआ अंतर्मन में संवेदना अभी भी जीवित है।
गाय मेरे घर के द्वार पर रोज है आती
होते क्रोधित मेरे पड़ोसी कि गोबर फैलाती
रोटी उसे खिलाने से मैं स्वयं को रोक ना पाती
तो ज्ञात हुआ अंतर्मन में संवेदना अभी भी जीवित है।
मार्ग पर घटी दुर्घटना का दृश्य देख कर
आतुर हो उठती हूं उन्हें चिकित्सक के पास ले जाने को
नहीं बढ़ते मेरे हाथ कोई सनसनीखेज विडियो बनाने को
कह उठता है मन मेरा, संवेदना अभी भी जीवित है।
भिक्षुक जब द्वार पर आता , मन मेरा नहीं झल्लाया
न निकले अपशब्द हैं मुख से, न ही उसे है मैंने दुत्कारा
बैठा उसे घर के आंगन में, भोजन का है स्वाद चखाया
मिला संतोष तो ये जाना, संवेदना अभी भी जीवित है।