* संवेदनाएं *
** गीतिका **
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हर समय जीवित रहें संवेदनाएं।
स्नेह की शुभ भावना मन में जगाएं।
भूख से कोई तड़पता न रहे अब।
पास हो कुछ बांट कर सबको खिलाएं।
जब कहीं पर भी दिखे आंसू छलकते।
पोंछ डाले हाथ हम आगे बढ़ाएं।
भावनाएं जब स्वयं मन में जगी हो।
साथ सबके हर कदम हम भी मिलाएं।
सर्व हित का भाव है कल्याणकारी।
बस इसी को ध्येय जीवन का बनाएं।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २५/०४/२०२४