संवेदनशीलता का रोमांच
“संवेदनशीलता का रोमांच और धड़कन की थिरकन”
नयन अब झुकते नहीं गाल लज्जा से लाल नही होते
सिहरन झुरझुरी रोंगटे खड़े कहीं फिलहाल नहीं होते
अजीब सा चलन है आज प्रेम, प्यार, प्रीत जताने का
जैसा दीखता है सभी को वैसे सूरत-ए-हाल नहीं होते
भावनाओं का सीधा संबंध रहा है मन हृदय आत्मा से
जैसी हैं महसूस होती हैं, इन में माया जाल नही होते
संवेदनशीलता, मूलमंत्र है परस्पर रिश्तों में जीवन का
ताक पर रखे हुए रिश्ते जब चाहो तब बहाल नहीं होते
जोश में तो सभी होश खो देते हैं, आप अकेले नहीं हैं
जोश में होश जो कायम रखें अब बहरहाल नहीं होते
नयन अब झुकते नहीं गाल लज्जा से लाल नही होते
~ नितिन जोधपुरी “छीण”