संविधान में हिंदी की स्थिति, राष्ट्र भाषा के रूप में हिंदी का योगदान, तात्विक विश्लेषण
“संविधान में हिंदी की स्थिति, राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी का योगदान”
भारतीय भाषाएं बोलने वालों की संख्या के आधार पर प्रथम द्वितीय एवं तृतीय भाषा (2011 की जनगणना के अनुसार)
(1) हिंदी (2)अंग्रेजी(3) बंगाली(4) मराठी (5)तेलुगू (6)तमिल(7) गुजराती (8)उर्दू (9)कन्नड़(10) उड़िया(11) मलयालम (12)पंजाबी(13) संस्कृत.
दस लाख से कम व्यक्तियों द्वारा बोली जाने वाली भाषाएं-
(1) खानदेशी (2)हो (3)खासी (4)मुंडारी (5)कोक बराक भाषा(6) गारो (7)कुई (8)मीजो(9) हलाबी(10) कोरकू(11) मुंडा(12) मिसिंग (13)कार्बी /मिकिर (14)सावरा(15) कोया भाषा(16) खड़िया (17)खौण्ड (18)अंग्रेजी(19) निशि (20)आओ(21) सेमा (22)किसान(23) आदि (24)रभा(25) कोन्याक (26)माल्टो भाषा( 27)थारो (28) तांगखुल.
राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी की संभावनाएं-
एक भाषा के रूप में हिंदी ना सिर्फ भारत की पहचान है,बल्कि,यह हमारे जीवन मूल्यों,संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक संम्प्रेषक और परिचायक भी है. बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवत सबसे वैज्ञानिक भाषा है.जिसे दुनिया भर में समझने बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं.
राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी का योगदान-
भारतीय भाषाओं में केवल हिंदी एक ऐसी भाषा है,जिसे राष्ट्रभाषा के रूप में अपनाया जा सकता है.क्योंकि, यह अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाती है. यह समस्त भारत में आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक संपर्क माध्यम के रूप में प्रयोग के लिए सक्षम है, तथा, इसे सारे देश के लिए सीखना आवश्यक है.
हिंदी का राष्ट्रभाषा के रूप में विकास-
वाणी देते रहने के कारण एवं जीवन के हर क्षेत्र को संभालने में समर्थ होने के कारण हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया गया है.आधुनिक भारत की संस्कृति एक विकसित शत दल के समान है,जिसका एक-एक दल प्रांतीय भाषा और उसकी साहित्य- संस्कृति है.
राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी का स्थान-
भारत की कोई राष्ट्रभाषा नहीं है. हिंदी एक राजभाषा है,यानी कि संविधान में किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला हुआ है. भारत में 22 भाषाओं को आधिकारिक दर्जा मिला हुआ है. जिसमें अंग्रेजी और हिंदी भी शामिल है.
संविधान में हिंदी की स्थिति-
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 (1) के अनुसार हिंदी हमारे देश की राजभाषा है. इस अनुच्छेद में यह समस्या है कि संघ की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी. संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा.
हिंदी भाषा का पुराना नाम-
अपभ्रंश के ही सरल और देसी शब्द थे,उसे अवहट्ट कहा गया. इसी अवहट्ट से हिंदी का उद्भव हुआ.
राष्ट्रभाषा तथा हिंदी की वर्तमान स्थिति-
हिंदी हमारी राज भाषा है,राष्ट्र भाषा उसे भाषा को कहते हैं जिसका व्यवहार समग्र देश में होता है.जो पूरे देश में लिखी पड़ी और समझी जाती हो. जिसमें उच्च स्तर का साहित्य हो. श्रेष्ठतम शब्द समूह हो,देश को भावनात्मक एकता में बांधने की क्षमता हो.
हिंदी भाषा के संस्थापक-
हरिश्चंद्र जी को आधुनिक हिंदी का जनक कहां कहा जाता है.भारतेंदु हरिश्चंद्र को आधुनिक हिंदी साहित्य का पितामह भी कहा जाता है. आधुनिक काल में हिंदी साहित्य का प्रारंभ भारतेंदु काल से हुआ.
हिंदी राजभाषा
क्योंकि हिंदी को संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को राजभाषा के रूप में अंगीकार किया, इसीलिए भारतवर्ष में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है.
हिंदी भाषा की लिपि
देवनागरी लिपि जिसमें 14 स्वर और 33 व्यंजन सहित 47 प्राथमिक वर्ण है. दुनिया में चौथी सबसे व्यापक रूप से अपनाई जाने वाली लेखन प्रणाली है. जिसका उपयोग 120 से अधिक भाषाओं के लिए किया जा रहा है.
हिंदी भाषा राष्ट्रभाषा क्यों नहीं-
हिंदी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा इसलिए नहीं दिया गया क्योंकि केवल 40 प्रतिशत लोग हिंदी भाषा बोलते थे.अन्य भाषाओं की रक्षा के लिए हिंदी भाषा को राष्ट्र भाषा का दर्जा नहीं दिया गया.
“निज भाषा उन्नति अहै,सब उन्नति को मूल.
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल.”
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम