*संयोग …..शुभ मुहूर्त का **
।।ॐ परमात्मने नमः ।।
***संयोग … शुभ मुहूर्त का ***
रमेश के घर में शादी थी घर छोटा होने के कारण मेहमानों को रुकने की व्यवस्था बाहर टेंट लगाकर की गई थी लेकिन अचानक से तेज आंधी तूफान बारिश होने के कारण व्यवस्था गड़बड़ हो गई थी जैसे – तैसे पड़ोसियों के घर में रुकने की व्यवस्था की गई।
बारात शाम को बस द्वारा वधू पक्ष के स्थान तक रवाना की गई बारात पहुंचने के बाद कुछ चाय पानी , नाश्ते की व्यवस्था की गई थी जलपान कराया गया फिर वहां से दूल्हे को घोड़ी पर बिठाया गया बैंड बाजे के साथ दूल्हे को घोड़ी पर बैठाकर लाया गया कुछ दोस्त फटाखे फोड़ने लगे जलते हुए फटाखों की कुछ टुकड़े घोड़ी के मुँह पर छिटक गए जिससे घोड़ी बिचक गई और हिनहिनाते हुए दो पैर पर खड़ी हो गई और दूल्हा बेचारा जमीन पर गिर पड़ा ।
वर पक्ष के लोग दूल्हे को उठाया और जनवासे में ले गए वहां कुछ देर ठंडा पानी ,शर्बत पिलाया फिर आराम से पुनः उसी घोड़ी पर बिठाया परन्तु बिचकी हुई घोड़ी अभी भी संयत नही हुई थी चढ़ते से ही दोनों पैर पर खड़ी होकर दूल्हे को फिर से जमीन पर पटक दिया था।
अब वर पक्ष के लोगों ने सोचाअब कुछ दूसरा इतंजाम किया जाय तो एक स्कूटर मंगवायी जिसमें दूल्हे मियां उल्टा मुँह करके पीछे स्टेपनी पकड़ कर बैठ गये सारे बाराती पीछे पीछे चलते जा रहे थे।
बैंड बाजे फिर बजने लगे बाराती डांस करने लगे थे कुछ तो नशे में झूम रहे थे और रास्ते में बीच में झुमा – झटकी होने लगी थी पिताजी जरा सा नाराज होने लगे जैसे – तैसे बारात विवाह स्थल तक पहुँची ।
शादी स्थल पर द्वार पर पहुंचने के बाद दूल्हे का स्वागत किया गया वहां वरमाला की रस्म अदायगी करने जब दूल्हा – दुल्हन स्टेज पर गए तो परिवार के कुछ सदस्य भी वहाँ पहुँच गये दूल्हे के दोस्तों ने भी फोटो खिंचवाने के लिए मंच पर चढ़ गए और स्टेज का मंच तख्त से बना हुआ था दूल्हे मियां दो तख्तों के बीच फंस गए थे चारों तरफ अफरा तफरी सी मच गई थी।
दूल्हे को उठाकर ऊपर लाया गया उसके बाद सारे कार्यक्रम निरस्त करके पहले सभी ने खाना खाया फिर बाकी की रस्म अदायगी भी पूरी की गई
अतंतः शादी में व्यवधान उत्पन्न होने से परेशान लोगों को इस घटनाओं सेअब सीख मिल गई ….! ! !
स्वरचित मौलिक रचना ??
*** शशिकला व्यास ***
# भोपाल मध्यप्रदेश #