संयम रख ऐ जिंदगी, बिखर सी गई हू |
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संयम रख ऐ जिंदगी, बिखर सी गई हू |
मैं अपने ही अल्फाजों में कहीं खो सी गई हूं|
इस अंधकार के अंधकार से निकलूंगी जरूर,
इंतजार है बस अपने संघर्षों के फल का जो कहीं खो
सी गई है।
Sakshi Singh
संयम रख ऐ जिंदगी, बिखर सी गई हू |
मैं अपने ही अल्फाजों में कहीं खो सी गई हूं|
इस अंधकार के अंधकार से निकलूंगी जरूर,
इंतजार है बस अपने संघर्षों के फल का जो कहीं खो
सी गई है।
Sakshi Singh