संपत्ति।
सहेज के रखें तो माता पिता का,
आशीर्वाद होती है संपत्ति,
माता-पिता की मेहनत का,
व्रतांत होती है संपत्ति,
मन में हो खोट अगर तो,
फसाद होती है संपत्ति,
मोह लगा इस माया से तो,
संताप होती है संपत्ति,
पीढ़ियों की पीढ़ियां बह जाती,
रह जाती है संपत्ति,
अपना समझने की नादानी में,
जताते हैं लोग आपत्ति,
नाते-रिश्तों पे अक्सर यहां,
भारी पड़ती है संपत्ति,
ढेरों विवाद हैं समाय फिर भी,
निर्विवाद है संपत्ति,
आती है कोई विपत्ति अगर,
फिर लाज बचाती है संपत्ति।
कवि-अंबर श्रीवास्तव।