संचार गान:-
शूल अनेकों बिखरे पथ में शूलों में ही मंजिल है
तूफानों से डर मत जाना तूफानों में साहिल है।
आती है बाधाएं कितनी तेरी नींद चुराने को।
करती है मजबूर तुझे वो पग पग ठोकर खाने को।
ठोकरसे तू डर मत जाना,
ठो कर ही तो मंजिल है।
तूफानों से डर मत जाना
देशकाल और जाति पातिकी इनऊंची दीवारों में ।
बंट मत जाना भाई भाई की इन छुटपुट तकरारो में
तकरारों से हट कर देखो संगठन में ही मंजिल है ।
तूफानों से डर मत जाना
विनय सिखाती है हमको सद नीति पर झुक जाना।
जो पथ अवगुण सिखलाए उस पथ पर से कम जाना।
रेखा सद्गुण देख पराए अपनाना ही मंजिल है।
तूफानों से डर मत जाना