Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jul 2024 · 1 min read

“संघर्ष पथ पर डटे रहो”

“संघर्ष पथ पर डटे रहो”
आप संघर्ष पथ पर डटे रहो…
राह रोकने वाले मिलेंगे अगर
तो यकीन मानिए कुछ लोग
हौसला आफजाई भी करेंगे !
इधर-उधर झाॅंकने के बजाय
आप सीधी रेखा में चले चलो !
बुलंद हौसलों से संकल्पित हो
मंज़िल की ओर बढ़े चलो !
ईश्वर पर भरोसा रक्खो…
कर्म आगे की राह बनाएगा…
ईश्वर कदम को सुदृढ़ बनाएगा।
…अजित कर्ण ✍️

1 Like · 139 Views

You may also like these posts

ज़िंदगी की अहमियत
ज़िंदगी की अहमियत
anurag Azamgarh
कविता चोरों को सप्रेम भेंट
कविता चोरों को सप्रेम भेंट
अवध किशोर 'अवधू'
जिस दिन आप दिवाली के जगह धनतेरस को मनाने लगे उस दिन आप समझ ल
जिस दिन आप दिवाली के जगह धनतेरस को मनाने लगे उस दिन आप समझ ल
Rj Anand Prajapati
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
कुछ अभी शेष है
कुछ अभी शेष है
Jai Prakash Srivastav
क्रोध
क्रोध
Mangilal 713
कुछ असली कुछ नकली
कुछ असली कुछ नकली
Sanjay ' शून्य'
परमपिता तेरी जय हो !
परमपिता तेरी जय हो !
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
अनकहा
अनकहा
Madhu Shah
शुभांगी छंद
शुभांगी छंद
Rambali Mishra
नारी री पीड़
नारी री पीड़
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
टूटते पत्तो की तरह हो गए हैं रिश्ते,
टूटते पत्तो की तरह हो गए हैं रिश्ते,
Anand Kumar
4047.💐 *पूर्णिका* 💐
4047.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
क्या करूं मैं!            भुलके भी तुझे कभी नहीं भुला सका।
क्या करूं मैं! भुलके भी तुझे कभी नहीं भुला सका।
Iamalpu9492
"ग़ज़ब की ख्वाहिश"
Dr. Kishan tandon kranti
हम सा भी कोई मिल जाए सरेराह चलते,
हम सा भी कोई मिल जाए सरेराह चलते,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*जब हो जाता है प्यार किसी से*
*जब हो जाता है प्यार किसी से*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
■ शिक्षक दिवस पर एक विशेष कविता…।
■ शिक्षक दिवस पर एक विशेष कविता…।
*प्रणय*
फितरत
फितरत
Deepesh Dwivedi
कुछ लोग होते है जो रिश्तों को महज़ इक औपचारिकता भर मानते है
कुछ लोग होते है जो रिश्तों को महज़ इक औपचारिकता भर मानते है
पूर्वार्थ
#बेबस लाचारों का
#बेबस लाचारों का
Radheshyam Khatik
मेरी मां
मेरी मां
Jyoti Roshni
ख़्याल इसका कभी कोई
ख़्याल इसका कभी कोई
Dr fauzia Naseem shad
ख्वाहिशें
ख्वाहिशें
Arun Prasad
उसकी गलियों में आज मुस्कुराना भारी पड़ा।
उसकी गलियों में आज मुस्कुराना भारी पड़ा।
Phool gufran
आदमी ही आदमी से खौफ़ खाने लगे
आदमी ही आदमी से खौफ़ खाने लगे
Dr. Kishan Karigar
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
रविदासाय विद् महे, काशी बासाय धी महि।
गुमनाम 'बाबा'
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
शिव प्रताप लोधी
माँ और बाबूजी का दुलार
माँ और बाबूजी का दुलार
श्रीहर्ष आचार्य
मन की परतों में छुपे ,
मन की परतों में छुपे ,
sushil sarna
Loading...