संघर्ष देखना हो तो पिता की दिनचर्या देखो—-
संघर्ष देखना हो तो पिता की दिनचर्या देखो,
मोहब्बत देखना हो तो माँ का ममत्व देखो।
सहयोग-समर्पण देखना हो तो बीवी को देखो,
त्याग-बलिदान देखना हो तो भाई को देखो।
संघर्ष देखना हो तो पिता की दिनचर्या देखो,
मोहब्बत देखना हो तो माँ का ममत्व देखो।
सहयोग-समर्पण देखना हो तो बीवी को देखो,
त्याग-बलिदान देखना हो तो भाई को देखो।