संगत।
संगत शब्द, दिखने में छोटा लग रहा है। पर इसका अर्थ बहुत ही गंभीरता लिए हुए है। इसमें मनुष्य जीवन का सार छिपा हुआ है। बिना संगत के , मनुष्य को न ज्ञान पैदा हो सकता है, और न ही कोई बड़ी सफलता प्राप्त हो सकती है। लेकिन आज का इंसान इस बात को समझ नहीं पा रहा है।कि हमें किसकी संगत करना चाहिए, और किसकी नही। क्योंकि मानव जीवन में संगत का बहुत महत्त्व है।इस बात को नकारा नहीं जा सकता है। आज हम बिना संगत किये ही, कुछ बनना चाहते हैं! और कुछ बताना भी चाहते हैं।संगत जीवन का हिस्सा है,चाहे पत्नी की संगत हो!या फिर गुरु की। हमें संगत चाहिए , बिना संगत के मनुष्य रह नही सकता है।मानव को अपने जीवन में संगत को महत्त्व देना चाहिए।