संगति
—————————दोहे ————————–
—————————संगति——————–
वे छू सकते हैं गगन , जिनको मिला सुसंग |
मिल जाते हैं धूल में , पाकर लोग कुसंग ||
गंदी नाली के निकट , मिलती है दुर्गंध |
पुष्प बाटिका में चलें , बसती जहाँ सुगंध ||
मत कर सेमर फूल से , मन सुगंध की आस |
है सुगंध की चाह तो , चल गुलाब के पास ||
जल वैसा है दिखता , जैसा डालो रंग |
वैसा होता ढंग है , जैसा पकड़ो संग ||
आप असलियत जानिए ,पढ़कर वेद पुरान |
सत्संगति जिनको मिली, उन्हें मिले भगवान ||
साबुन करता साफ है , बाहर का ही भाग |
सत्संगति है साधु की , धोती मन का दाग ||
हे अवधू इस जगत का, बस है एक हिसाब |
जैसी शिक्षा चाहिए , वैसी पढ़ें किताब ||
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अवध किशोर ‘अवधू ‘
ग्राम – बरवाँ( रकबा राजा)
पोस्ट – लक्ष्मीपुर बाबू
जनपद – कुशीनगर (उत्तर प्रदेश )
पिन नंबर – 274407
मोबाइल नंबर – 9918854285