श्वान
हुई श्वान से दोस्ती,पकड़ लिया है हाथ।
मेरे संग-संग डोलता,सदा निभाता साथ।।
अपनों ने छोड़ा हमें, मिला श्वान का साथ।
सदा स्नेह से चूमता,सहलाता है माथ।।
बेजुबान यह जानवर,समझे मन की बात।
स्वार्थ रहित सेवा करे, साथ रहे दिन रात।।
झूठे आडंबर करें, दुनिया बड़ा विचित्र।
उससे अच्छा श्वान है,जिसे बनाया मित्र।।
मानव भूला भाव सब,चले सियासी दाव।
श्वान स्नेह वापस करे,रखता सदा लगाव।।
छुरा घोंपता पीठ में,चाटुकार इंसान।
नहीं धर्म ईमान है,उससे अच्छा श्वान।।
स्वामी के संकेत से, हाव-भाव का मेल।
श्वान सखा दिखला रहा, तरह तरह के खेल।।
मेल न रखता छद्म से,वफ़ादार है श्वान।
करे पूर्ण दायित्व को, देकर अपनी जान।।
स्वामिभक्त सबसे अधिक, श्वान मनुज का खास।
मुश्किल में छोड़े नहीं, रहे हमेशा पास।।
शांत भाव अवसर परे,बने श्वान खूंखार।
मालिक की रक्षा करे, घर का पहरेदार।।
छिपी चीज भी ढ़ूंढ़ ले, तीव्र शक्ति अति घ्राण।
अपराधी लेते पकड़, करे कष्ट का त्राण।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली