श्री हनुमान जी से विनती।
सकल मनोरथ मेरे, सिद्ध करौ हनुमान।
तुम ज्ञान गुण के सागर,दया निधान।।
हे पवनपुत्र वीर, हनुमान।
संकट में सदा सहाय करौ । मेरी विपदा आन हरौ।
बड़े बड़े संकट क्षण में ,दूर करौ।।
सकल मनोरथ मेरे सिद्ध करौ हनुमान।
जो तुम्हें ध्वाये,उसकी रक्षा कवच बन जाते हो।
हर संकट से बचा कर , नैया पार लगाते हो।
कौन सा काज , तुमसे जाय न टारौ।
सकल मनोरथ मेरे सिद्ध करौ हनुमान।
जानत है सकल जहान। सकल मनोरथ मेरे सिद्ध करौ हनुमान।